हमारे जाटव समाज के सभी व्यक्ति चाहते हैं कि हमारे समाज के लोग आगे बढ़ें, उन्नति करें और हमारा समाज सब समाजों से अच्छा समाज हो। बस यह सोचना कि हमारा समाज हो तो सोचने भर से समाज अच्छा नहीं होता हैं। हमें कुछ करना भी चाहिए। कहते है कि हम उन्नति करेगें तो हमारा परिवार उन्नति करेगा और हमारा परिवार उन्नति करेगा तो समाज उन्नति करेगा तथा समाज उन्नति करेगा तो देष उन्नति करेगा। कहने का मतलब है कि हम अच्छें बनें। अच्छे बननें के लिए सबसें पहले हमारा चाल चलन अच्छा होना जरूरी है। चाल चलन में आता है बड़ों की इज्जत देना, नरमाई से बात करना, किसी को मदद की जरूरत हो तो मदद करना, महिलाओं से अच्छा व्यवहार करना, बच्चों कों प्यार देना आदि। इसके बाद अच्छें बननें के लिए धन की जरूरी है। धन प्राप्ति के लिए हमें मेहनती और काम में होषियार होना चाहिए। धन आता है तो जाने का रास्ता पहले ढूँढ लेता है। इसलिए धन को बेकार नहीं जाने दें। हो सके तो जितना संभव हो बचाने की कोषिष करें। एक एक रूपया जोड़कर धनवान बनत हैं धन जोड़कर उसे अच्छें कार्यो में खर्च करें। अच्छें कार्य परिवार से शुरू करें।....